जेल जाय के बेरा हे

*#जेल_जाय_के_बेरा_हे*

जब तक
शासन सत्ता म
परदेशिया मन के
बसेरा हे
तब तक
छत्तीसगढ़िया मन के
जेल जाय के
बेरा हे
जागव
अउ जागे ल परही
अतके नहीं
सबला
जगाये ल परही
हमर जल,जंगल,जमीन
कब्जा इंकर
शोषित होके
नइ मरन
धरके मशाल हम
अब क्रांति करबो
ए माटी के
हम पूत अन रे
डराबो काबर
छाती तान के लड़बो
कतको आँखी के
काजर धोवा जाय
उड़ा जाय
गोड़ के माहूर
छत्तीसगढ़िया मन
वो लहू के बने हे
जेकर ले
बनिस गुंडाधूर
तुम चलालव
हमूँ चलाबो
दिन दूरिहा नइहे
धकिया-धकिया के भगाबो...|

*#असकरन_दास_जोगी*

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