इशारें
*इशारें*
जल,थल,नभ
और इसमें जो मिलते हैं
प्रकृति में बतलाओ तो
भला कौन इशारा...
नहीं करता है ?
हम कहें तो श्रेष्ठ है
वाणी का विकल्प है
लिपि के चौंखट पर
नाक नही रगड़ता
भाषा तो यह भी है
तभी तो...
कहा गया है
समझदारों के लिये
इशारा काफी होता है
जब पत्थरों में चित्र या अक्षर
कुरेदे नहीं गये थे
शब्दों ने तब
जन्म नहीं लिया था
था,है और रहेगा
वे इशारें...
जो आदि हैं अनंत हैं |
*#असकरन_दास_जोगी*
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