साँठगाँठ तो नहीं
*#साँठगाँठ_तो_नहीं?*
क्या फौज पर हमला
इतना आसान है
इंटेलिजेन्सी कहाँ सोई थी
लगता है
शहीदी के नाम पर
वे बली चढ़ गए
आगे चुनाव है
किसी न किसी को तो
सहानुभूति चाहिए
सुनो चुपके से बतलाता हूँ
जरा कान तेज कर लेना
कुर्सी एक ही है
बस बात इतना है
एक उठता है
और
दूसरा बैठता है
दोनों में अंतर है क्या ?
सब देखें
सब सुनें
कुछ का कुछ
और
कुछ भी समझें
जरा इधर भी सुनों
चिल्ला-चिल्लाकर
मैं यह कहता हूँ
कहीं
पर्दे के पीछे
कुर्सी वालों का
नक़ाबपोशों से
साँठगाँठ तो नहीं...?
*#असकरन_दास_जोगी*
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