ठोंको अपना दावा
*#ठोंको_अपना_दावा*
कब दौंड़ेगी 
धमनियों में 
धड़धड़-धड़धड़
रक्त 
जागो उठो 
दुनिया के 
शोषित-पीड़ित
अब नहीं है 
वक्त 
ह्रदय में 
ज्वाला भरलो 
धधके आँखें 
बनकर मशाल 
काल हो तुम काल 
शोषकों के काल 
अब क्रांति 
हाथों में लेना होगा 
न कोई 
चमत्कार होगा 
न आयेगा 
कोई अवतार 
शोषण के चादर को 
करदो तुम तार-तार
तुम मृत नहीं 
जीवित हो 
बह जाने दो 
क्रेटरों से लावा 
अधिकार सम्मान लेकर 
वज़ूद कायम करो 
जल जंगल जमीन पर 
ठोंको अपना दावा....!
*#असकरन_दास_जोगी*
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