बंजारों जैसा

*#बंजारों_जैसा*

मेरे हिस्से में
खामोशी आई है
वो चाँद
न आकाश को मिला
न इस चकोर को

वो चाँद होकर
तारों जैसी टूट गई
खुद का सपना तोड़
दूसरों का सपना सजा रही है

सच कहूँ
तुम बहुत याद आओगी
तुम भुलाने के लिए
कोई पराये नही
मेरे अपने हो

तेरे शहर से
जब भी गुजरूँगा
वहीं ठहरकर
गोलगप्पे
जरूर खाऊँगा
क्या तुम्हें याद रहेगा
वह पल
जब हम गोलगप्पे खाये थे ?

वक्त ने
कैसा गप्प मारा
न मैं हस पा रहा हूँ
न रो पा रहा हूँ
लेकिन दुआ यही है
तुम हमेशा खुश रहना

जब भी गुजरूँगा
उस राह से
जहाँ तुम रहती थी
ठहरकर उन पलों को
याद करूँगा
और चला जाऊँगा
कुछ पलों के लिए
उस समय में
जहाँ तुमसे मिलकर बात किया था

तुम्हें झुलने में झुलते देख
अपनी आँखों में
कौन सपना सजायेगा
यह भी तो बताओ
मेरे बाईक के पीछे
कौन बैठेगी
अब मिलने के लिए
मुझे कौन बुलायेगी ?

याद रखना
रख दूँगा जिंदगी को
ख़ानाबदोश बनाकर
अपना भी हाल
अब...
बंजारों जैसा होगा |

*#असकरन_दास_जोगी*

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