मोहब्बत ज़िन्दाबाद

*#मोहब्बत_ज़िन्दाबाद*

मेरे दिल को दिल्ली का
जन्तर मन्तर समझती है
ये मोहब्बत में
आंदोलन है साहब...
वह खुलकर धरने पर बैठी है

मोहब्बत ज़िन्दाबाद
यही नारा...दोहराती है
विचारों की तख्ती उठाकर
आँख की मशाल से...
अन्तर में आग लगाती है

वक्त का डण्डा खड़ा करके
एहसासों का
झण्डा लहरा रही है
कोई इनसे सीख लें
क्या होता है
खुद के लिये लड़ना

उसकी माँगे भी
एक क्रांति है
और वह खुद
एक जीती-जागती
जंगी आंदोलन लगती है
जानते हो...
चाँद की तरह उगकर
अंधेरा भगाना चाहती है

जंगी प्रदर्शन
का भी दर्शन है
तब छेंड़ेगी
जब सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन होगा
जरा सुनो...
उसकी निगाहें तो
निराकरण कराकर ही
दम लेगी |

*#असकरन_दास_जोगी*

Comments

Popular posts from this blog

दिव्य दर्शन : गिरौदपुरी धाम(छत्तीसगढ़)

पंथी विश्व का सबसे तेज नृत्य( एक विराट दर्शन )

अन्तस होता मौन जब