बड़ी सुलझी हुई है

*#बड़ी_सुलझी_हुई_है*

वो आँगन में खिली हुई
मोंगरे जैसी है
श्वेत बिल्कुल श्वेत
उसकी शादगी को पहचान पाना
कोई बच्चों का खेल नहीं है

जितनी खुली हुई है
उतनी ही वह बंद है
जब शर्माती है तो
वह सिमट जाती है
बिल्कुल छुईमुई जैसी

उसमें चंचलता की
बात ही अलग है
थोड़ी अल्हड़ है
वैसे ही
जैसे गेहूँ और सरसो की खेत में
बौराई हवा सरसराती है

चूप नहीं रह सकती
चलबल है
पके हुए अरहर की तरह
खन-खन करती है

हर किसी को नहीं मिल सकती
भले ही उसकी मादकता में
जग झूम उठे
बड़ी सुलझी हुई है
जिसको भी मिलेगी
वह उसका सौभाग्य होगा |

*#असकरन_दास_जोगी*

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