वह समझी होगी?

*#वह_समझी_होगी ?*

मेरे लफ़्ज़ों में लोग
मुझे पढ़ने लगे हैं
हाँ मैं
खुली किताब हूँ
शब्दों के संयोजन
और वर्णन का प्रयोजन
भली भांति समझते हैं
कुछ लोग
बोल रहे थे
शब्द लिखते हो
या चल चित्र ?
मैने कहा
लिखता नही
मैं तो फैलाता हूँ
भावनाओं का इत्र
और लिखने की
बात पे अटके हो तो
सच कहूँ
प्रेम लिखता हूँ मित्र
वे बोले
हमें तो पता ही था
हम यूँ ही पूछ रहे थे
मैं भी सोंच में
डूब गया
और अंदर से
आवाज़ आई
लोग समझदार
हो गए हैं
फिर प्रश्न उठा मन में
क्या इस वर्णन का समर्पण
जिसे है
वह समझी होगी ?

*#असकरन_दास_जोगी*

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