दुनिया और दुनियाँ के लिये
दुनिया और दुनियाँ के लिये
साधना सत्य की
पा लो सतनाम
सुनो साहेब....
अंत के बाद कुछ भी नहीं
देख लो अंतर
जीया-जंत के यही हैं कंत
वैराग्य-विरक्ति
सार्थक तभी है
जब मन,कर्म,वचन में
दुनिया और दुनियाँ के हित के लिये
अथाह हो आसक्ति
साधना अंधविश्वास नहीं
अपनी समझ की बात है
आसक्ति भी वासना नहीं
समझ सको तो समझ लो
चल सको तो चलकर देखो
पता है....?
कोई गर्भ से या वंश से महात्मा नहीं होता
अंश का दंश क्यों झेलें भला ?
विराट है विषय
विवेचना करो
पल-पल में आती है जागृति
ज्ञानेन्द्रियाँ और कुण्डलियाँ
जो जगी हैं
अब तो कहे...?
क्रांति करो
हे ! सत पथ के पंथी
मौन नहीं,हार नहीं,मन मार नहीं
मंत्रणा बस छ: माह हो
आपके वैराग्य
और आसक्ति की आवश्यकता
दुनिया और दुनियाँ को है |
*#असकरन_दास_जोगी*
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