प्रेम में

*#प्रेम_में*

विश्वास,सपने
चाँद-तारे
डाली में लदे फूल
और दिल भी
नहीं तोड़ सकता मैं
प्रेम में

रिश्ते-नाते
दोस्त-यार
माँ-बाप
घर-द्वार
और उसे भी
नहीं छोड़ सकता मैं
प्रेम में

सुबह,दोपहर
शाम,रात
आज-कल
और हर घड़ी
नहीं डूब सकता मैं
प्रेम में

सुख-दु:ख
जीवन-मरण
हार-जीत
और राग-द्वेष भी तो है
प्रेम में

आशाओं के जाल में
बाँधा गया हो
शर्तों पे साधा हो
भावनाओं से खेला गया हो
और दिल जब टूटा हो तब भी
रो नहीं सकता मैं
प्रेम में

*#असकरन_दास_जोगी*

Comments

Popular posts from this blog

दिव्य दर्शन : गिरौदपुरी धाम(छत्तीसगढ़)

पंथी विश्व का सबसे तेज नृत्य( एक विराट दर्शन )

खंजर