बैसुरहा देवाना-03
*#बैसुरहा_देवाना-03*
तोर अंतस के काँची म
कही त 
मोर मया के तेल ढार दँव 
देख फेर...
चुपर के तेलतेलाबे झन....
नहीं त 
कभु-कभु मैं 
केवाँछ डारे असन गोठियाथँव 
रगबगा जाही आठो अंग हर 
गोबर पानी म नहाये ले घलो नइ माढ़ी
सुन न 
फेर संसो झन करबे 
बोईर चिरौंजी बंधाये बर 
गुड़ के पाग कस 
लसलस ले मया करहँव
पता हे 
हम चिरौंजी रहिबो 
दूधो नहाबो 
फूलबो अउ फरबो 
छानी ल दउँंचत बेंदरा मन कस
जलवइया ल अउ जलवाबो
धर ले संग 
ये बैसुरहा के 
हे भरोसा 
त तीन परोसा 
रोजे खाबो 
उच्छल-मंगल 
जिनगी भर रहिबो...|
*#असकरन_दास_जोगी*
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