थोड़ा फेक लेना चाहिए

#थोड़ा_फेक_लेना_चाहिए

" फिर विचारों को पर लग जाने दो
हम ज़मीन पर ही रहें
और सपनों को सच बनकर
आसमान में
उड़ जाने दो
और कहो...
हमारा प्रेम तो क्षितिज से है "

" मुझे नापसंद
वह सुकून है
यह बेचैनी नहीं
अरे...इस बेचैनी की मैं शुक्रगुज़ार हूँ
जो मुझे मेरे महबूब के
करीब तो रखता है "

" तरकसी तीर से
कब तक साधोगी निशाना
अरे कुछ तो बोलो...
इरादा मार गिराने का है
या फिर...
सिर्फ घायल करने का ? "

" मेरे लिये कुछ भी नहीं
और कह दूँ तो
सब कुछ है वह
ये जो लोग हैं वे क्या जाने
सिर्फ उसे पता है...
क्या होता है
शून्य से संसार होना "

असकरन दास जोगी 

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