रमता जोगी (हम तो फ़क़ीर आदमी हैं)

*#रमता_जोगी*
(हम तो फ़क़ीर आदमी हैं)

थोड़ा सच थोड़ा झूठ
अक्सर बून लेता हूँ
सबका मनोरंजन
करने के लिये
जुमला कह लेता हूँ

घाट-घाट का पानी
पीकर चलता हूँ
यह यात्रा
शासन करने के लिये है
किन्तु खुद को
जन सेवक कहता हूँ

सबसे जुड़ना
सबका विकास करना
बस जुमलों का लक्ष्य है
वैसे तो हम
सब कुछ बेचकर भी
देश बिकने नहीं देंगे
हा हा हा हा....
बहुत प्यारा सा स्लोगन है

फ़क़ीरी में जीया हूँ
सबको फ़कीरी दूँगा
ये जो इतना
समर्थन करते हो मेरा
भला कैसे...
जाया जाने दूँगा

रमता जोगी
बहता पानी
अलख निरंजन
बस यही कहता हूँ
सुनो...
सब मोह माया है प्यारे!
झोला लेकर अब चलता हूँ |

*#असकरन_दास_जोगी*

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