तर्जनी

*#तर्जनी*

यह उंगली
बीच की उंगली नही है
जिसे वर्तमान में
अमर्यादित रूप से
प्रयोग करते हैं
लोग इसे तर्जनी कहते हैं

यह उंगली
महिला या पुरुष
दोनों की हो सकती है
जो जब उठे तो
आपके अहम और वहम
दोनों को
चकनाचूर कर सकती है

यह उंगली
जब भटकते हुए
राहगीर के लिये उठती है
तो उसे
उसकी मंजिल तक
सहजता से पहुँचा देती है
इसे आप
मार्गदर्शक भी कह सकते हैं

यह कि
जब बोतल से घी
न निकले
और कोई हमारा काम
बिगड़ रहा हो
तब हम
अपनी बौध्दिकता का
परिचय देते हुए
इसी उंगली को
टेढ़ी करते हैं

कोई फटे बाँस की तरह
अपना ही हाँक रहा हो
और वह ध्वनि प्रदूषण
हमारे बस के बाहर हो
बड़ी सहजता से
इसी उंगली में हॉले से
कान भी खुजा लेते हैं

लोकतंत्र की शान है
यह उंगली
कोई साधारण नहीं है
इसका उपयोग अनंत है
जब इस उंगली को
संतों,गुरुओं और महामानवों ने उठाया
तब देखते ही देखते
विश्व का कल्याण हो गया

इस उंगली को
होटो पर रखकर
बहुतों को चूप करा सकते हैं
किन्तु एक ही निवेदन है
किसी के अच्छे कार्यों में
कभी भी उंगली न करें  |

*#असकरन_दास_जोगी*

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