दूबर बर दू असाढ़ हे

*#दूबर_बर_दू_असाढ़_हे*

कइसे कका
काज नइ होत हे
हुवाँ-हुवाँ करत हव
बस कोलिहा बनके
रही जाहव का ?

जइसन घोषणा पत्र रहिच
वइसन तो
गत गरहन हर नइहे
बस कागज म
काम ल देखाहव का ?

का समस्या नइ रहिच
अउ काला कम करे हव
बस खुदे के भाव ल बढ़ाके
जनता के भाव ल गिराय हव
इही ल तो कहिथे
टाहलू के टाँय-टाँय
अउ हम कहिबो त
आँय-बाँय

लइका उठा
भौंरा चला
गोंटा ल खेल 
गेंड़ी ल चढ़
सोंटा ल खा
राउत नाचा ल नाच
तहाँ रमन के बाना ल उचा
अउ दारू ल बेंच
जय होवय तोरे
दारू वाले बाबा

अपन ल ढ़ाँक
दूसर के ल उघार
बाहरी बर बहार हे
छत्तीसगढ़िया बर
बंदूक तइयार हे
अउ अतको म कहाँ मानबे
छत्तीसगढ़िया-छत्तीसगढ़िया
दाऊ जी-दाऊ जी के सोर म
दूबर बर दू असाढ़ हे |

*#असकरन_दास_जोगी*

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