घोंसला

*#घोंसला?*

हम कब तक उड़ेंगे
आशाओं के आसमान में
प्रहर-प्रहर पंख फैलाये
शाम को घोंसला भी तो चाहिए
संघर्ष को सुकून देने के लिये

ऐसा घोंसला
हम दोनों भी बना सकते हैं
अगर तुम हामी भरो
जीवन भर के लिये
सपनों की सूखी लताओं को
चुनेंगे और बुनेंगे
तटस्थ तिनकों को
सुनों...
तब अपने घोंसले में
सारी दुनिया होगी

अपने घोंसले को
सादगी,विश्वास और समझ की
साख,झुरमुट या फिर
धरा की गोद में
निर्मित करेंगे
अपना घोंसला घिरा होगा
प्रेम के कोंपल पौधों से
जो अन्ततः
खुशियों की हरियाली बिखेरेगी
अपने आँगन में

सुनों...
क्या सच में
बना सकते हैं
हम अपना घोंसला ?

*#असकरन_दास_जोगी*

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