मोर हाल

*#मोर_हाल*

पेट्रोल कस
मोर मयारु के भाव घलो
बाढ़ते रहिथे
बता भला...
राहत कहाँ मिलही

निराश्रित पेंशन बरोबर
मैं वोला जोहत रहिथँव
किस्मत घलो
घसराय अंगठा होगे
बेरा के बायोमेट्रिक म
रेखा के छप्पा परबे नइ करय

अउ यहू तो कमाल हे
गैस के सब्सिडी असन
वोकर मिलना जुलना
कब आथे कब जाथे
पते नइ चलय
ए आँखी दुख के कुहरा म
कसकत हे

प्राइवेटाइजेशन के रस्ता
अभी नइहे
असन हमरो मया
तेजस जइसे
छुकछुक-छुकछुक दौंड़तिच
जिनगी के पटरी म
सरसराके छुटेवँ
वो चंदा बर
फेर अधरे म लटकगेवँ
कोनो का जानही
मोर हाल
चंद्रयान-2 जइसे हे
न तीर म हँव न दूरिहा म

गुनत हँव
राफेल जइसन
अपन आस म
लिम्बू मिरचा बाँध दँव
तब देखहँव
कोन बैरी नज़र लगाही
वो अतका निर्मोही अउ निर्दयी नइहे
के हमर मया अउ दुनिया के बीच म
अहमदाबाद जइसे भिथिया खड़ा कर देही
भले मैं कतको फक्कड़ राहँव |

*#असकरन_दास_जोगी*

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