का समझथच ?

*#का_समझथच ?

नख के नोख के
बराबर घलो तोला
मैं मया नइ करँव
का समझथच ?
तहींच बस हवच का
ए संसार म ?

मैं झपाय तको नइ परत हँव
तोर ऊपर म
तोला देखे बिना रही जाथँव
मोला चैन-वैन सब हे
चिटिकुन तको
तालाबेली नइ लागय
चार पहर रात म
लात तान के सोथँव
अल्थी कल्थी नइ मारँव
बता तोर सपना कोन मेर ल देखहँव ?

मोला मिले के घलो आस नइहे
बता तो भला
तोर गाँव गली म हिरक्के
काबर जाहँव
तोर रस्ता काबर जोहिहँव ?

तोर गोठ ल गोठियावँव नही
खुद ल मैं भुलियारँव नही
कोनो ल बताके मोला का मिलही
अइसन संसो तो
मोर बबा घलो राखिच नही |

*#असकरन_दास_जोगी*

Comments

Popular posts from this blog

दिव्य दर्शन : गिरौदपुरी धाम(छत्तीसगढ़)

पंथी विश्व का सबसे तेज नृत्य( एक विराट दर्शन )

खंजर