मैं कैसा हूँ?

*#मैं_कैसा_हूँ ?*

आइने को साफ करता हूँ
कभी दायें कभी बायें
चेहरे को पलटता हूँ
और मुस्कुराकर
खुद को उसमें देखता हूँ

आइना घर का हो
या बाइक
या फिर
शहर की दीवारों पर लगी हो काँच
कई पोज़ बनाता हूँ
मैं कैसा हूँ
यह छोड़कर
चेहरे को निहारता हूँ

अाइने को
पानी,थूक,कपड़ा
न जाने
किस-किस से चमकाता हूँ
किन्तु मैं कैसा हूँ
हर बार यही भूल जाता हूँ

आइना हम कैसे हैं
यही दिखाता है
हमने हमेशा
अपने चेहरे को देखा
कभी खुद की नज़र से नज़र
नहीं मिलाया

मैं कैसा हूँ
यह मुझे जानना चाहिए
चेहरे का क्या ?
कल बचपन था
आज जवानी है
कल बुढ़ापा होगा |


*#असकरन_दास_जोगी*

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