ए सुंदरी

*#ए_सुंदरी*

तैं जब रीसाथच
भजिया कस
गुजिया कस
अउ अइरसा कस
मुँह ल फुलाथच

करील कस केवँची हे
तोर करेजा
तभे तो
जब रीसाथच
त खुद बताथच
अउ
अपन होके रीसाथच
अपन मन के मान जाथच

सोंचथच,बोलथच
गुनिक हच गुनवाथच
जागे अउ जगाय के
आगी हे तोर भीतर
गुँगुर-गुँगुर गुँगवाथच
अउ दगदगाथच घलो
मोर हीरौंदी,बुंदेला,दौना
सुंदरी
मोर मयारू मैना आच

सुन न....
गुरतुर ले
करू कस्सा
झन होबे कभू  |

*#असकरन_दास_जोगी*

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