तुम्हें क्या कहते हैं लोग ?

*#तुम्हें_क्या_कहते_हैं_लोग ?*

तुम जब भी आते हो
नफ़रत फैलाते हो
क्या तुमने कभी
प्रेम किया है ?

धर्म के झण्डेबरदार हो
क्या सिखा है धर्म से
कभी एहसास हुआ है
धर्म क्या होता है ?

तुमने जब भी हथियार उठाया
आतंक ही फैलाया
अहिंसा और शांति
कभी समझ पाये हो ?

तुम दो कौड़ी के लोग हो
किसी के ईशारे पर नाचने वाली
कठपुतली हो
तुमने कभी जाना है
देशभक्ति क्या होती है ?

तुमने कभी भी
भगत सिंह की तरह
हथियार नही उठाया
तुम्हें तो पता ही नहीं है
राष्ट्रहित क्या होता है ?

जिस तरह से चिखते हो
बंदूक लहराते हो
दहशत और आतंक फैलाते हो
पता है...
तुम्हें क्या कहते हैं लोग ?

देशद्रोही,दहशतगर्द,आतंकवादी
और साथ में
चौराहे पर फांसी लटकाने की
मांग करते हैं....
तुमने कभी समझा ही नहीं
मानवता क्या होती है |

*#असकरन_दास_जोगी*

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