सहयोग

*#सहयोग*

सहयोग
सामान्य अर्थ में
आवश्यकता और पूर्ति का संगम है
जिससे प्राप्तकर्ता या प्रदाता
स्वयं को धन्य भाव में
भर लेते हैं

गाय की तरह दूहना
यह सहयोग लेना नहीं है
अपनी आवश्यकता से अधिक
किसी के सहयोग का दोहन करना
अन्ततः
फायदा उठाना कहा जाता है

सहयोग लेने की कामना में
स्वयं को
परिस्थिति का मारा दिखाना
कहाँ तक सहीं है
अगर परिस्थिति आपके वश में है

सहयोग
मानवता है
मधुर सम्बन्ध है
मैत्री और अपनत्व है
जो हमें
संकट से उबारता है
लेकिन इसका दुरुपयोग
सारी मधुरता और अन्य अवसर
खत्म कर रख देता है

सहयोग में
समय सीमा की
बड़ी महत्ता होती है
मामला देने का हो
या लेने का
और इतनी समझ
हममें होनी चाहिए
कि सहयोग का सदुपयोग करें
दुरुपयोग से
अपना व्यक्तित्व
न बिगाड़ें |

*#असकरन_दास_जोगी*

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