मेरी कविता

विश्व कविता दिवस पर....


*#मेरी_कविता*

मेरी कविता
बस शब्दों का ढ़ाँचा नही है
मेरी संवेदनाओं की
अभिव्यक्ति है
जब भी पढ़ें
जरा गौर से पढ़ें
या फिर
कोई जरूरी भी नहीं है

मेरी कविता
ठिठोली करने वाली भाभी है
वैसे मेरी सम्धन भी है
इससे बच कैसे सकता हूँ
मुझे ताक झाँक करने वाली
मेरी पड़ोसन
यह वही मेरा दुष्ट दोस्त है
सच कहूँ...
मेरी कविता मेरी प्रेमिका है

मेरी कविता
पंख वाले हाथी,घोड़े या फिर
राजहंस के साथ नही उड़ती
मेरी कविता
हवाई यात्रा करने के बाद भी
गौरैया के साथ बैठकर बातें करती है
सुनो....?
मेरी कविता
मौलिक अधिकारो की लड़ाई लड़ती है
यह कल्पनालोक में
नही रहना चाहती

मेरी कविता
बुलेट ट्रेन की सपने देखती है
मेट्रो में महानगर घूमकर
मेमू लोकल से
घर लौट आती है
मेरी कविता को
घूमना बहुत पसंद है

मेरी कविता
गाँव के चौराहे में खड़ा हुआ
एव विशाल पीपल है
अगर अच्छे से देखो
तो आँगन के चौंरे में
लगी हुई तुलसी है
यह हरियाली भी देगी
और स्वास्थ्यवर्धक भी करेगी

मेरी कविता
समन्दर से नमकीन होकर लौटती है
और गाँव के तालाब में
भैंस धोती है
इसे स्टेटस बनाये रखने के लिए
दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं

मेरी कविता
जो पढ़ सकते हैं
उनके लिए है
और जो नही पढ़ सकते
उनके लिए भी है
यह शब्द मात्र नहीं
मर्मस्पर्शी चलचित्र भी है
आप देखो
कभी यह खचाखच भींड़ लेकर आती है
और कभी मरघट सी तनहाई
मेरी कविता
सजीव और निर्जीव
दोनो है

मेरी कविता
माँ की डाँट
पिताजी की मारने वाली छड़ी है
दादी की दुलार
दादा जैसा दोस्त
बहन का बहाना
बच्चों का ज़िद
और भाई का भय है
आप बच नहीं सकते
इसे अपनाने से
पता है क्यों...?
क्योंकि मेरी कविता
परिवार है....|

*#असकरन_दास_जोगी*

Comments

  1. गजब सुघ्घर सामयिक रचना बधाई...

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

दिव्य दर्शन : गिरौदपुरी धाम(छत्तीसगढ़)

पंथी विश्व का सबसे तेज नृत्य( एक विराट दर्शन )

खंजर