हमर घर के माईलोगिन

पेट हर
पोट-पोट करत रहिथे
तभो लांघन
लगे रहिथैं
घर के सबो अढ़वा म
अउ हम पूछन घलो नही
खाय हवव के नही

कभू कहन नही
थोकन धीरता तो लव
हमुँ हाथ बटा देथन
एकर जघा म
रेंग देथन अँइठ के
इंकर रहत ले
हमला चिन्ता नइ रहय
घरबार के

सबके हलि भली लेथैं
करथैं देखरेख
फेर कोनो ल नइ दिखय
इंकर तन के तकलीफ़
कइसे लागत हे कहिके
हम मुंह फुटकारे नइ सकन

जब गोठियाथन
तमियावत रहिथन
गुरतुर गोठ
निकलबे नइ करय
हमला सोचना चाही
का मनखे हमिच बस आन ?

जिंकर रहत ले
घर हर घर आय
नहिते दर हे
अउ समय परे म
दर-दर घलो हो जाथन
गुनलव...
दया मया के देवइया
हमर घर के माईलोगिन


असकरन दास जोगी

Comments

  1. सुंदर अभव्यक्ति जोगी भाई जिज़

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

दिव्य दर्शन : गिरौदपुरी धाम(छत्तीसगढ़)

पंथी विश्व का सबसे तेज नृत्य( एक विराट दर्शन )

खंजर