हे शंख !

#हे_शंख !


तुम्हारा बजना
किसी के लिए अध्यात्म है
तो किसी के लिए आडम्बर
तुम्हें सुनने वाले
झूम उठते हैं
शांति महसूस करते हैं
हे शंख !
किसी की समझ पर
तुम्हारा कोई वश नहीं

कुछ लोग कहते हैं
तुम्हारे बजने पर
समर में युध्द हुआ करती थी
और तुम्हारे बजने पर
युध्द विराम लगती थी
तुमने बच्चों को
अथाह आनंद भी दिया है
तुमने समुद्र की गहराई देखी है
तुम्हारी ध्वनि विकारों का उपचार भी है 

तुम मुख से जन्म लेने वालों के
मुख से भी बजते हो
और दुनिया भर के
सामान्य जन्म लेने वाले भी
तुम्हें बजा सकते हैं
क्योंकि तुम लौकिक हो
अलौकिक नही
उन्हें स्मरण में रखना चाहिए
उन्हें बताओ शंख !
तुम मृत जीव के
त्याज्य कवच मात्र हो

मृत होने पर भी
तुम्हारी उपस्थिति में
वे शुध्द रहते हैं
और बहुत से जीवित मनुष्यों के
स्पर्श मात्र से
वे अशुध्द हो जाते हैं
ओ शंख !
क्या तुमसे निकलने वाली ध्वनि मात्र
तुम्हें शुध्द कर देती है
जो वे तुम्हें मुख से लगा लेते हैं ?

हे शंख !
हम कुछ नहीं जानते
तुम बताओ
तुम मृत होकर भी
शुध्द कैसे हो
और वे जीवित होकर भी
अशुध्द कैसे हैं  ?

#असकरन_दास_जोगी

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