भाग-2 : छद्म अम्बेडकरवाद क्या है ?

धौंरा बाबा की कलम से.......
भाग-2 : #छद्म_अम्बेडकरवाद_क्या_है ?

आओ साथियों आपको आपकी ही भाषा में समझाते हैं , इस लेख में हम सबसे पहले सद्गुरु कबीर साहब को याद करते हुए आप लोगों को उनकी पंक्ति समर्पित करके लेख को आगे की ओर गति प्रदान करता हूँ -

निंदक नियरे राखिए,आँगन कुटी छवाय |
बिन पानी,साबुन बिना,निर्मल करे सुभाय ||

इन पंक्तियों का अर्थ सभी जानते और समझते हैं मुझे समझाने की आवश्यकता नहीं है | इस दोहे की मूल संदेश को कुछ साथी भूलकर  भाग-1 छद्म अम्बेडकरवाद क्या है ? यह पढ़कर बौखला गये | उनकी तर्कशक्ति धरा का धरा रह गया और मुझ पर न जाने क्या-क्या आरोप लगाने लगे और मेरे लिए अपशब्दों का भी प्रयोग किए चलिए उन्हें सादर धन्यवाद |
एक बात और कुछ साथी छद्म का अर्थ ही नहीं समझ पा रहे थे छद्म को छ.ग. और छंद भी बोल रहे थे तो आपको बता दूँ छद्म का अर्थ असली रूप को छिपाना या छल करना होता है तो इस शब्द को उनके लिए लिखा गया है जो बाबा साहब के वास्तविक अम्बेडकरवाद को दबाना चाहते हैं |

आगे आप लोगों को यह बताना चाहूँगा की मेरे आदरणीय परम मित्र #ब्लू_टाईगर_मनोज_लहरे_बेखबर_जी (अध्यक्ष : #भीम_आर्मी_छत्तीसगढ़ ) के द्वारा भाग-1 का मुझे प्रतिउत्तर देने के लिए रात को 2:00 बजे तक मेहनत करके लेख लिखना पड़ा और वे बहुत अच्छा लिखते हैं मैं उनका स्वागत् करता हूँ | मनोज लहरे जी आपके लिए आदरणीय दलाई लामा जी का फोटो सेंड कर रहा हूँ वे बौध्द धर्म और हिन्दू धर्म के बीच कैसे मध्यस्थता स्थापित कर रहे हैं देखिएगा शायद वैसे ही खुशवंत साहेब जी हिन्दू और सतनामी समाज के बीच मध्यस्थता स्थापित करना चाहते हों |
मेरा लेख 18 बिन्दुओं में लम्बा होने के कारण आपको रात 2 बजे तक जगना पड़ा इस लिए आपकी तबियत को ध्यान में रखते हुए इस लेख को 10 बिन्दुओं में लिख रहा हूँ ताकि आपको रात भर जगना न पड़े |

आईना लेकर आया हूँ,जरा चेहरा गौर से देख लो |
शांति,धीरज रखना साथियों,खुद की बर्बादी रोक लो ||

मैं प्रारम्भ से कहते आ रहा हूँ मेरे लेख का उद्देश्य बाबा साहब अम्बेडकर जी का अपमान करना नहीं है बल्कि जो बाबा साहब को बदनाम कर रहे हैं उनके उध्देश्यों को गर्त में डाल रहे हैं उन्हें बेनकाब करना है | आप सभी को इस लेख के उन 10 बिन्दुओं को समर्पित करता हूँ वे इस प्रकार से हैं  :-

(1) छद्म अम्बेडकरवाद बहुजन समाज में अम्बेडकर साहब के नाम पर हजारों लाखों सामाजिक संगठन बनाकर बहुजन समाज को गुटबाज़ी में बाँट रहा है | ये केन्द्रीकरण करने से भागते हैं,इन्हें सामाजिक नेता बनने,पद प्रतिष्ठा में बने रहने की लालच है |ऐसे पद के लोभी लोग क्या समाज को अम्बेडकरवाद सिखा पायेंगे ?
इनमें से कुछ संगठन के नाम :-
1. बामसेफ - बीएसपी
2. बामसेफ - वामन मेश्राम जी
3. भीम आर्मी - चंद्रशेखर आजाद
4. पंजीकृत भीम आर्मी - उपकार बावरा
5. भीम सेना - सतपाल तंवर
6. अंत्तर्राष्ट्रीय भीम सेना
7. युवा शक्ति दल - रवि कुमार गौतम |

(2) छद्म अम्बेडकरवाद को फैलाने वाले लोग अम्बेडकर साहब के नाम पर आये दिन बहुजन समाज में नये-नये राजनीतिक दल खड़ा करते रहते हैं | ये लोग बहुजन समाज के वोटों को तोड़कर बहुजन समाज को राजनीतिक,आर्थिक,सामाजिक,शैक्षणिक,व्यवसायिक हर दृष्टिकोण से शोषण के दलदल में धकेलते हैं और राजनीतिक सत्ता के अधिपति बनने से रोकते हैं | हम बताना चाहेंगे जिससे बहुजन विरोधी राजनीतिक दलों को लाभ  मिलता है और ये छद्म अम्बेडकरवादी लोग व्यक्तिगत स्वार्थ में डूबे हुए हैं | ऐसे लोग क्या बहुजन समाज को शोषणों से मुक्ति दिला सकते हैं ?
मेरी जानकारी में वर्तमान में सक्रिय राजनीतिक दल इस प्रकार से हैं :-
1. बीएसपी - बहन मायावती जी
2. एलएसपी - रामविलास पासवान जी
3. हम - जीतन राम मांझी जी
4. वंचित बहुजन आघाड़ी - प्रकाश अम्बेडकर जी
5. एएसपी - चंद्रशेखर आजाद
6. भारत मुक्ति मोर्चा
7. केबीएसपी - सावित्री बाई फुले
8. आरपी - रामदास आठवले
9. एपीआई - विजय मानकर  |

(3) छद्म अम्बेडकरवादी लोग कभी एक मंच पर नहीं आयेंगे | ये अक्सर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए दिखते हैं और यह भी कहते हैं - तुम भेदिये हो,विभीषण हो, जय चंद हो, आर.एस.एस. के चमचे हो,मनुवाद के समर्थक हो, भाजपा का सपोर्टर है, कांग्रेस का  बी टीम है, समाज के दलाल हो | इनके इसी फूट का फायदा कोई दूसरा उठा ले जाता है, बताईए भला ?  ऐसे लोग समाज में कभी एकता ला पायेंगे ?

(4) छद्म अम्बेडकरवाद के सिपाही लोग अलग-अलग संगठन के नाम पर समाज में अलग-अलग कैडर देते हैं | समाज के गरीब व्यक्ति से लेकर अमीर एवं उच्च सरकारी पदाशीन अधिकारियों से पदानुसार चंदा लेते हैं समाज की भलाई के लिए लेकिन सामाजिक रूप से न कोई शैक्षणिक संस्थान खड़ा करते हैं न व्यवसायिक (बिजनेस के लिए DICCI का नाम सुना हूँ क्योंकि जब यह छत्तीसगढ़ में लॉन्च हुअा तो इसके ऑफिसियल वाट्सएप्प ग्रुप को मैने ही क्रिएट किया था) और न ही ये स्वास्थ्य सेवा पर कार्य करते हैं |
क्या ऐसे लोग चंदा चकोरी से एकत्र धन को कभी समाज हित में लगाते होंगे ?
यहाँ गरीब आदमी गरीब ही रह जाता है साहब और गरीब के लिए लड़ने वाला कब अमीर हो जाता है पता ही नहीं चलता ?

(5) छद्म अम्बेडकरवाद वर्तमान में अजगर की तरह मुँह खोले हुए खड़ा है अम्बेडकरवाद को निगल जाने के लिए | यह समाज में अम्बेडकर साहब को दलितों के भगवान के रूप में प्रस्तुत करता है और उनकी बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ बनाकर पूजा करते हैं, दीप जलाना,कैण्डल जलाना,फूल माला चढ़ाना,दूध से साहब की मूर्ति को धोना, देवी देवताओं के आरती गीतों को डुप्लिकेट कर भीम आरती गीत बनाना,बाबा साहब के नाम पर ब्रेसलेट,लॉकेट,माला,अंगुठी बनाकर बेंच ऐसे कुकृत्य करते हैं | कोई बताये भला क्या ऐसे में ही समाज से आडम्बर खत्म हो पायेगा ?

(6) छद्म अम्बेडकरवाद बाबा साहब अम्बेडकर को सिर्फ सीमित समाज के नेता बनाने में तुले हैं, जबकि वे भारतीय संविधान के रचयिता और भारतीय समाज के उध्दारक हैं | वे आधुनिक भारत के जन्मदाता हैं  |

(7) छद्म अम्बेडकरवाद संविधान का प्रचार कुछ ऐसे करता है जैसे सीमित जातियों के लिए संविधान को लिखा गया हो | जबकि संविधान पुरे भारत के संचालन के लिए बनाया गया है |

(8) छद्म अम्बेडकरवाद को फैलाकर ऐसे छद्म अम्बेडकरवादी लोग बहुजन महापुरुषों को सामने रख लोगों को भावनात्मक दृष्टि से भावुक कर उन्हें छलने का कार्य करते हैं | ये लोग महाराष्ट्र,दिल्ली,उत्तर प्रदेश,बिहार और न जाने कहाँ-कहाँ से राजनीतिक दल बनाकर भारत के सभी राज्यों में प्रायोजित करते हैं | वैसे ही हमारे छत्तीसगढ़ में इनकी शाखायें आती हैं और यहाँ के लोगों को कई हिस्सों में तोड़कर बहुजन राजनीति को ध्वस्त करने का कार्य करते हैं | क्या ऐसे लोग भारत की राजनीति में अधिपति, सत्ताधारी बन पायेंगे ?

(9) छद्म अम्बेडकरवादी लोग बाबा साहब के महान कार्यों को सामने रख उनके उध्देश्यों को भूलकर ,बाबा साहब ने बौध्द धर्म क्या अपना लिया ये लोगों को बौध्द धर्म की दीक्षा लेने,बौध्द धर्म अपनाने और बौध धर्म का प्रचार करने का कार्य करते हैं | जबकि यही लोग अन्य धर्मों की बुराईयों को गिना-गिनाकर उनका विरोध करते हैं और यह भूल जाते हैं कि बौध्द धर्म में भी तो बुराई है | कोई मुझे बताये आपका कार्य लोगों का धर्म परिवर्तन कराना है या राजनीतिक शिखर पर चढ़कर शोषित लोगों की मौलिक अधिकारों की रक्षा करना ?

(10) बहुजन महापुरुषों ने बहुजन समाज को हमेशा शिक्षित,संगठित होकर,संघर्ष करने और अधिकारों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति कर सम्मान,स्वाभिमान के साथ जिने का रास्ता दिखाया |
लेकिन छद्म अम्बेडकरवादी लोग इतिहास का गढ्ढ़ा खोदकर बार-बार उसी में कुदने का कार्य करते हैं | ये लोग, लोगों को इतिहास बता रहे हैं कहकर उनका मनोबल तोड़ते हैं,घृणा और द्वेष भरते हैं उन्हें उद्वेलित करते हैं, लोगों को तुम दलित हो,चमार हो, शूद्र हो और न जाने क्या-क्या कहते हैं | जबकि इन्हीं वाक्यों का प्रयोग अगर सवर्ण और ओबीसी करे तो इन लोगों के साथ लड़ाईयाँ होते हैं और मामला कानूनी कार्यवाही कराने तक पहुँच जाता है | एक तरफ आप स्वयं अपने लोगों को कहते हो अगर दूसर कहे तो कानूनी कार्यवाही कराते हो यह कैसा दोमुहापन है | बताओ तो आप इतिहास के गढ्ढ़े में पड़े रहना चाहते हैं या वर्तमान को सुधार कर भविष्य को संवारना चाहते हैं  ?
गुरु घासीदास बाबा जी ने कहा है अपन आप ल कभू हिनहा झन समझव... आप कब मानोगे इस संदेश को ?

आपका शिक्षित होना कैसा है, आप कैसे संगठित हो रहे हैं और आप संघर्ष कैसे कर रहे हैं यह सब स्पष्ट रूप से दिखता है....

मैं अपने लेख को किसी को उत्तर प्रतिउत्तर देने के लिए नहीं लिख रहा मैं पहले हो घोषणा कर चुका हूँ यह कई भागों में चलता रहेगा अपने इस लेख के इस अंतिम कड़ी में मैं फिर सद्गुरु कबीर साहब को याद करना चाहूँगा इस दोहे के सहारे और आप लोगों को बताना चाहूँगा की ये जो मैं इनकी बुराई गिना रहा हूँ या निंदा कर रहा हूँ मैं भी कोई दूध का धुला नही हूँ मुझमें भी बुराई है बस बुराई को स्वीकार कर उसे सुधारने के लिए मुझे कदम बढ़ाना होगा....

बुरा जो देखन मैं चला,बुरा न मिलिया कोय |
जो दिल खोजा आपना,मुझसे बुरा न कोय  ||

जिन्हें गाली देना हो मुझे भर-भर के गाली दे सकते हैं🙏

असकरन दास जोगी

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