भाग-3 : छद्म अम्बेडकरवाद क्या है ?

धौंरा बाबा की कलम से....
#भाग_3_छद्म_अम्बेडकरवाद_क्या_है? 

साथियों एक बार फिर मैं आप लोगों के बीच छद्म अम्बेडकरवाद क्या है ? लेकर आया हूँ | आप सभी को यह साझा करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है और मैं फिर इस बार हमारे छद्म अम्बेडकरवादी साथियों से गाली खाने के लिए तैयार होकर प्रस्तुत हो रहा हूँ क्योंकि जिस तर्क की वे बात करते हैं और उनकी शालीनता हमारे सत्य बातों के सामने चरमारकर टूट जाती है वे अपनी सत्य आलोचना सहन नहीं कर पाते | हम भी कभी-कभी शालीनता और सहनशीलता खो बैठते हैं आख़िर मनुष्य हैं और मनुष्य से गलती होना लाज़मी है |
वैसे बताना चाहूंगा कि मुझे छद्म अम्बेडकरवाद क्या है ? यह लिखने का प्रोत्साहन हमारे छद्म अम्बेडकरवादी मित्र ही देते हैं,मैं हृदय से उनका शुक्रगुज़ार हूँ और साथ में यह भी कहना चाहता हूँ छद्म अम्बेडकरवाद जितना घातक सतनामियों के लिए है उससे कहीं ज्यादा छद्म अम्बेडकरवाद,अम्बेडकरवाद के लिए घातक है |
चलिए साथियों आप लोगों को मैं लेख की ओर ले चलता हूँ, इस लेख में भी 10 बिन्दू लिया गया है    |

1.छद्म अम्बेडकरवादी हमें कहते हैं कि तुम इतिहास नहीं जानते तुम्हें इतिहास पढ़ना चाहिए जिसके लिए  तुम्हें हम कैडर देंगे.. |

#नोट :- छद्म अम्बेडकरवादी मिशनरी लोग तरह-तरह के कैडर देते हैं और लोगों से समाज की भलाई के नाम पर उनसे धन राशि वसूली करते हैं और हमारे ही लोगों से पैसे लेकर हमारे ही लोगों के सामाजिक सांस्कृतिक स्वरूप को तोड़ने के लिए भ्रमित करने वाला कैडर देते हैं | जिसमें वे महाराष्ट्र,उत्तर प्रदेश,दक्षिण भारत,कोलकाता एवं 5,000 वर्षों का भारतीय इतिहास पढ़ाते और थोपते हैं |
मजे की बात देखिए कुछ दिन पहले मुझे एक पी.डी.एफ. फाईल वाट्सएप्प में मिला,इसका नाम कैडर-GGG है जिसमें लेखक,प्रकाशक के नाम का अता पता नहीं है और लिखते हैं गुरु घासीदास जी छ: माह के लिए आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए कोई साधना नही किए वे छाता पहाड़ के रास्ते से अपने मांगों को पूरा करने के लिए अंग्रेजी शासन के पास गए और वहाँ से लौटने में गुरु घासीदास जी को छ: माह लग गये तब वे वहाँ से आकर फिर छाता पहाड़ और गिरौदपुरी में सभा कर लोगों को सम्बोधित किए | यह सब पढ़कर हँसी आती है इनके सोच पर यह हमारे इतिहास को अपने कैडर के माध्यम से तोड़ने मरोड़ने का कार्य कर रहे हैं | क्या हम इनसे पूछ सकते हैं इनके मिशन के सबसे प्रथम युगपुरुष बुध्द बाबा आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए साधना नही किए थे क्या? बुध्द बाबा ब्रिटेन जाकर और अरब देश जाकर ज्ञान लाये थे क्या ?
आप ही सोचिए ऐसा विचारधारा जो आपके इतिहास और संस्कृति को नष्ट करने में लगा है वह आपके लिए कैसे हितकारी हो सकता है??

2.छद्म अम्बेडकवादी महापुरुषों को सम्मान देने का ढ़ोंग करते हैं |

#नोट :- छद्म अम्बेडकरवादी अक्सर सोशल मीडिया में या वास्तविक जीवन में चर्चा के दौरान कुछ महापुरुषों का नाम लेते समय बाबा,संत,मान्यवर,साहब,महामना,महामानव,गुरु,महात्मा इत्यादि आदरसूचक और महिमामण्डित करने वाले शब्दों को उनके नाम से पहले या बाद में जोड़ते हैं |
जब गुरु घासीदास जी, गुरु बालक दास जी,गुरु अमरदास जी या हमारे अन्य माता एवं महापुरुषों की बारी आती है तो उनके वाक्य प्रयोग में घासीदास,बालक दास, अमर दास ऐसे होते हैं जैसे इनके घर के ये बच्चे हैं | हम जब प्रत्यक्ष इन चीजों का विरोध करते हैं तो बड़ी सहजता से माफी मांगते हुए टालते हैं और कहते हैं लिखने की या बोलने की जल्दबाजी में हो गया भाई...
ऐसी बातें कितना उचित है? ऐसी बातें एक बार दो बार हो तो लोग इग्नोर कर सकते हैं लेकिन अधिकतर सुना और देखा जाये तो यह इग्नोर करने वाली बात नहीं है | दूसरे तो सम्मान करने से रहे नहीं लेकिन जब अपने लोग भी वैसा ही करेंगे तो स्थिति कैसे सुधर सकता है?

3.छद्म अम्बेडकरवादी लोग सतनामी समाज के गौरवशाली इतिहास का मज़ाक उड़ाते हैं,जानिए कैसे ? |

#नोट :- हमारे लोग जब सतनामी समाज के ऐतिहासिक बातों को सोशल मीडिया में प्रचारित करते हैं तो छद्म अम्बेडकरवादियों के पेट में दर्द होना शुरु हो जाता है और वे मेसेज में हँसने का इमोजी डालते और कमेंट करते हैं | सतनामी समाज के लोग मालगुजारी,गौटियाई,गुरु बालक दास जी को राजा की उपाधि मिलना,पिण्डारियों को छत्तीसगढ़ से मार भगाना,मराठा और पेशवा शासन के अत्याचारों तथा समाज में फैली विषमताओं के विरुद्ध सतनाम आंदोलन चलाना,डोला में बहू लाने की प्रथा का शुभारम्भ करना | यह सब इन्हें पच नही पाता और यह कहते हैं सतनामी समाज के लोग अपने इतिहास पर गर्व करते बैठे हैं.. और यही लोग हाँकते हैं जो अपना इतिहास नहीं जानता वह क्रांति नहीं कर सकता...इन्हें अपने हाँडी-गोंड्डी, झाडू बंधने वाले इतिहास पर बहुत ज्यादा गर्व होता है | इतिहास में शोषण प्रत्येक अनुसूचित जाति वर्ग में चिन्हांकित समाज और लोगों के साथ हुआ है प्रत्येक क्षेत्र,प्रदेश,और समाज में अमीर गरीब होते हैं और उनकी परिस्थिति के हिसाब से शोषक वर्ग उनका शोषण करते हैं और शोषण के हिसाब से क्रांति होती है  | भारत में अन्य राज्यों में आज जितना अनुसूचित जाति वर्ग का शोषण हो रहा है उतना छत्तीसगढ़ में नहीं हो रहा है और यह सब हमारे महापुरुषों और समाजिक कार्यकर्ताओं के कार्यों का प्रतिफल है | छद्म अम्बेडकरवादियों का दोमुहापन क्या उचित है??

4.छद्म अम्बेडकरवादियों द्वारा प्रचारित किया जाता है कि अगर अब तक गुरु घासीदास जी के सतनाम आंदोलन को कोई अच्छे से समझ पाया है तो वे बाबा साहब अम्बेडकर जी थे |

#नोट :- इनका ऐसा प्रचार करना इन्हें विश्वगुरु की पदवी प्रदान करती है और इसे प्रमाणित करने के लिए ये यह भी कहते हैं कि गुरु घासीदास जी की अमृतवाणियों को बाबा साहब ने 100% संविधान में स्थान दिया है | तब मैं ऐसे लोगों को यह जानकारी बताना चाहूंगा की दुनिया में जितने भी महामना,महामानव,संत,महात्मा,समाज सुधारक हुए, उनका संदेश और हितोपदेश समस्त दुनिया और समस्त जीव-जन्तु के लिए होते हुए मानवता पर आधारित रही है | ऐसे में विचारों का मेल खाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है और कोई किसी को 100% समझ गया इस तरह की कोई बात है ही नहीं | ऐसी बात रहती तो संविधान की धारा में वे लिखकर जाते यह न्याय की धारा गुरु घासीदास जी की अमृतवाणी के आधार पर है, किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं है | हमारे भारत में जैन महावीर जी,महात्मा बुध्द जी,गुरु रविदास जी,सद्गुरु कबीर साहेब जी,गुरु नानक देव जी या फिर वे गुरु घासीदास जी हों, सबका संदेश उपदेश मानवता और दुनिया के लिए है |

5.हमारे छद्म अम्बेडकरवादी भाई लोग अक्सर यह कहते,लिखते अपने वाद से विवाद खड़ा करते नज़र आते हैं कि बाबा साहब अम्बेडकर जी ने गुरु घासीदास जी की जीवनी लंदन की लाइब्रेरी में पढ़ा और सतनाम आंदोलन के बारे में जाना-समझा और प्रचार किया |

#नोट :- हमारे आदरणीय मित्रों को गप्प हाँकना बहुत अच्छे तरीके से आता है | जब ये ऐसा कहते हैं तो हमारे चिंतन में कुछ प्रश्न आते हैं जिनका उत्तर इन्हें दे देना चाहिए लेकिन ये देते नही हैं...
हमारा प्रश्न है :- ...1.लंदन की लाइब्रेरी  में पढ़ते समय किसी डायरी में नोट किए होंगे या टाईपराईटर में टाईप कराकर लाये होंगे उन पृष्ठों का कोई दस्तावेज दिखा दीजिए...??
2.या बाबा साहब ने कभी भी गुरु घासीदास जी या सतनाम आंदोलन पर दो चार लाइन लिखा होगा अपने डायरी में उन्हीं पृष्ठों को दिखा दीजिए???
3.बाबा साहब स्वयं पत्रिका प्रकाशित करते थे तो हे सज्जनों उनकी पत्रिका की कोई एक अंक और उस अंक में कोई एक पृष्ठ या आधे पृष्ठ में भी,कभी गुरु घासीदास जी और सतनाम आंदोलन के बारे में लिखकर प्रकाशन किये हों तो वही दिखा दीजिए??
हमें आज तक कुछ नहीं मिलता और मिलता भी है तो इनके कैडर के फार्वड मेसेज जिसके लेखक का नाम पता भी नहीं रहता |

6.हमारे छद्म अम्बेडकरवादी मित्रों द्वारा सतनामियों से उल्लाहना स्वरूप पूछा जाता है, आपके गुरु घासीदास कितने पढ़े थे कोई ग्रंथ क्यों नहीं लिखे ? |

#नोट :- तो हमारे आदरणीय छद्म अम्बेडकरवादी मित्र आईंस्टाईन के पोता-पोतियों,आप लोगों के द्वारा ही प्रचार किया जाता है कि भारत में 5,000 वर्ष से मूलनिवासियों को गुलाम बनाकर उन पर मनुस्मृति लागू कर दिया गया , जिसमें मूलनिवासियों को पढ़ने का अधिकार नही था | तब आप बताईए गुरु घासीदास जी मूलनिवासी थे तो पढ़ कैसे पाते? हाँ वे अनपढ़ थे लेकिन तुम्हारी तरह पढ़े लिखे बैल नही थे उन्होंने अपने बौध्दिक क्षमता के बल पर सतनाम आंदोलन चलाया,लाखों की संख्या में सतनामियों को खड़ा किया, लोगों को समानता,स्वाभिमान,शांति,प्रेम और अधिकार के लिए लड़ना सिखाया,मानव समाज में फैली विषमताओं को दूर करने का कार्य किये |
और हमारे इन मित्रों के द्वारा सतनामियों से यह कहना गुरु घासीदास जी कोई ग्रंथ लिखे थे क्या ? तो आप लोगों से बुध्दिमान तो इस दुनिया में है ही नहीं,मेरे प्यारे साथियों :-
1)जैन धर्म के पहले तिर्थंकर आदिनाथ जी ने कोई ग्रंथ लिखा हो तो ला दीजिए ?
आगे देखिए भगवान महावीर जैन की मृत्यु के बाद उनके शिष्य इन्द्रभूति द्वारा द्वादशांग श्रुति की रचना की गई |
2)बौध्द धर्म के संस्थापक महात्मा गौतम बुद्ध द्वारा कोई धर्मग्रंथ लिखा है क्या?
सुनने पढ़ने में आता है उनकी मृत्यु के 500 वर्षों बाद बौध्द साहित्य लिखना प्रारम्भ किया गया और यह भी कमाल की बात देखिए पहला ग्रंथ त्रिपिटक की रचना श्रीलंका में हुआ और श्रीलंका की भाषा में हुआ,गौतम बुध्द जी क्यों कोई धर्मग्रंथ लिखकर नही गये,भारत में क्यों नहीं लिखा गया ??
3)सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु,गुरु नानक देव जी कोई धर्मग्रंथ लिखकर गये हैं क्या? नहीं बल्कि सिक्ख धर्म के पांचवे गुरु,गुरु अर्जुनदेव जी द्वारा गुरुग्रंथ साहिब को संकलित किया गया |
4)सद्गुरु कबीर साहब जी कबीर पंथ के लिए कोई धर्मग्रंथ लिखकर गये थे क्या ??
कबीर साहेब के शिष्य धर्मदास जी द्वारा रमैनी और बीजक जैसे ग्रंथों को लिखा गया |
5)गुरु रविदास जी क्या रविदसिया धर्म की स्थापना किए हैं ? क्या वे रविदसिया धर्म के लिए कोई धर्मग्रंथ लिखकर गये हैं  ???
6)हिन्दू धर्म के संस्थापक का नाम बताईए और संस्थापक के द्वारा लिखा गया धर्मग्रंथ बता दीजिए ??
7)गोंड़ी धर्म के मांग को लेकर आदिवासी समुदाय लगातार धरना प्रदर्शन करते रहे | आज उन्हें धर्म के कॉलम में गोंड़ी धर्म के लिए अलग से कोड़ लिखने के लिए भारत सरकार द्वारा आदेश मिल गया, मेरे प्रिय छद्म अम्बेडकरवादी मित्रों गोंड़ी धर्म के संस्थापक और उनके द्वारा लिखे गये धर्मग्रंथ का नाम बता दीजिए...

मेरे प्यारे छद्म अम्बेडकरवादी मित्रों आप बादाम खाया करिए दूध के साथ आपके सेहत के लिए अच्छा होगा | हम गुरु घासीदास जी के बाद 250-300 वर्षों में जी रहे हैं और सतनाम साहित्य निरंतर लोग लिख रहे हैं और यह सब परिमार्जित होते हुए एक दिन अच्छा परिणाम देगा यह आशा रखें |

7.हमारे छद्म अम्बेडकरवादी मित्र लोग सतनामी समाज के वैवाहिक परम्परा और संस्कृति को हिन्दू रूपान्तरित रूढ़िवाद और नकल कहकर इस वैवाहिक संस्कृति का विरोध करते हैं |

#नोट :- सतनामी समाज के वैवाहिक संस्कार के नियमों का पालन सतनामी समाज के लोग भण्डारी,साटीदार तथा पांच पंच मिलकर करते हैं जिसमें सभी लोग सतनामी समाज से ही होते हैं और शादगीपूर्ण विवाह को काराया जाता है इसमें कोई भी कर्मकांड नही होता | फिर भी हमारे छद्म अम्बेडकरवादी लोग इस विवाह संस्कार को हिन्दू रूपान्तरित रूढ़िवाद कहते हैं और स्वयं जब विवाह करते हैं तो शादी के मड़वा में गुरु घासीदास जी अम्बेडकर साहब या अन्य महापुरुषों का फोटो लगा देते हैं | दिखावे के लिए बड़ा बड़ा रिसेप्शन मंच बनाया जाता है जिसमें महापुरुषों के फोटो को लगाकर फूल माला चढ़ाते हैं कैण्डल जलाते हैं बड़े-बड़े गिफ्ट पैकेट दिए और लिए जाते हैं अंत में कम खर्चीली शादगीपूर्ण शादी के लिए भाषण देते हैं | यह है इनकी वैज्ञानिक पध्दति की शादी इतने ही आप बाबा साहब के नियमों की बात करते हैं तो आपकी प्रत्येक शादी बाबा साहब के द्वारा संविधान में बनाई गई कोर्ट मैरिज से क्यों नहीं होता आप जिसे रूढ़िवाद परम्परा कहते हैं उसी रूढ़िवाद की पीढ़ा और पर्रा में बैठकर मंगल ग्रह जाने की बात कैसे कर लेते हो??

8.छद्म अम्बेडकरवादियों द्वारा यह भी उल्लाहना दिया जाता है, सतनामी लोग मालगुजारी किए, घोड़े हाथी चढ़े तो इनकी मालगुजारी कहाँ है? पहले इनके पास हजारो एकड़ जमीन था तो अब कहाँ है ??

#नोट :- मेरे प्यारे साथियों जब सम्रााट अशोक जैसे शासक के वंशजों में योग्यता की कमी पड़ सकती है और वृहदरथ की हत्या कर पुष्यमित्र शुंग राजा बनकर पूरे मौर्यवंश के कार्यों,उनके राज्य और सत्ता को हथिया सकता है तो ये तो सतनामी मालगुजार थे कोई बड़े सम्राट तो थे नही,इनके साथ भी सड़यंत्र हुए होंगे और इन्हें जमीदारी,मालगुजारी और गौटियायी से बेदखल किए होंगे |

9.छद्म अम्बेडकरवादियों द्वारा सतनाम आंदोलन का मजाक उड़ाकर भीमाकोरेगाँव के युध्द पर गर्व करना |

#नोट :- सतनामियों के सतनाम आंदोलन में जितने क्रांति हुए चाहे समाजिक विषमतापूर्ण व्यवस्था को खत्म करना,आर्थिक में कृषकों को उनका अधिकार दिलाकर उन्हें भूस्वामी और मालगुजारी तक पहुंचाना,धार्मिक अंधविश्वास का विरोध करना,महिला जागृति और इनके हित के लिये कार्य करना,पिण्डारियों को भगाना और मराठा एवं पेशवा शासन के अत्याचारों के विरुद्ध क्रांति करना जो भी रहे इन्हें आप सोशल मीडिया में पोस्ट करते हैं तो छद्म अम्बेडकरवादी हँसने का इमोजी डालते हैं और मजाक बनाने के लिए उलूलजुलूल कमेन्ट करते हैं | इसके बाद यही लोग भीमा कोरेगाँव में हुए युध्द की प्रशंसा करते नही थकते और इस पर गर्व करते दिखते हैं |
भीमाकोरेगाँव के युध्द को समाजिक क्रांति बताते हैं जबकि भीमाकोरेगाँव में महार लोग पेशवा शासन के खिलाफ अंग्रेजी सेना के रूप में लड़े थे यह उनकी स्वतंत्र समाजिक लड़ाई नही थी जैसे छत्तीसगढ़ में सतनाम आंदोलन रहा |

10.साथियों इस बिन्दू में मैं फिर आप लोगों को भीमाकोरेगाँव के युध्द की बात में ले चलता हूँ | यह युध्द पेशवा,मराठों और अंग्रेजों के मध्य था जिसमें महार समाज के लोग अंग्रेजी सेना की ओर से लड़कर पेशवा सेना को हराये | यह युध्द सन् 1818 ई. में हुआ इसी बात का फायदा उठाकर छद्म अम्बेडकरवादियों द्वारा #बाबा_गुरु_घासीदास के नाम से एक कैडर बुक तैयार किये हैं जिस कैडर बुक के पी.डी.एफ. फाईल का नाम कैडर-GGG दिया गया है जिसमें प्रकाशक और लेखक के नाम का कोई अता पता नहीं है और इसमें यह बताने का प्रयास किया जा रहा है है कि भीमाकोरेगाँव के युध्द से प्रेरणा लेकर गुरु घासीदास जी और गुरु बालकदास जी ने अपने सतनाम आंदोलन को 1820 ई. में किये |
हमारे छद्म अम्बेडकरवादियों को गप्प वाला गोंद लगाने की आदत हो गई है कैसे तोड़ मरोड़कर पेस करना है कैडर में इन्हें बढ़िया सिखाया जाता है पर ये भूल जाते हैं ये जैसा कहेंगे पढ़ाये वैसा ही मानने वाले मूर्ख कम लोग हैं |

अब हमारे पढ़े लिखे बौध्दिक अम्बेडकरवादी साथी कहते नज़र आयेंगे आप अम्बेडकरवाद की बुराई कर रहे हैं आप बाबा साहब के विरुद्ध में लिख रहे हैं आप अम्बेडकरवादियों को बदनाम कर रहे हैं तो मेरे भाईयों एवं बहनों आप लोग लेख को और अच्छे से पढ़िए मेरा लेख उनके लिए है जो अम्बेडकरवादी बनकर हमें भ्रम और विवादित तथा गलत जानकारियाँ परोस रहे हैं हमारे साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं ऐसे लोग ही छद्म अम्बेडकरवादी हैं और इनका लक्ष्य अपने साथ जुड़ने वाले लोगों की समाजिक सांस्कृतिक पहचान को नष्ट कर उन्हें बौध्द धर्म स्वीकार करवाना और लोगों को द-शुद्र,द-दलित,ग्रेट-चमार और हरिजन बनाना है | साथियों आप विवेकी हैं आपको जो भी साहित्य गड़बड़ कैडर के द्वारा परोसी जा रही है उसे अच्छे से पढ़ें और समाज हित के आधार पर कार्य करें | आज छत्तीसगढ़ में जितना भी सतनामी समाज के साथ शोषण या अत्याचार हो रहा है वह सब हमारे गुरु परिवार में योग्य लोगों का न होना,राजनेताओं का समाज हित को छोड़कर पार्टी हित के लिए कार्य करना और हजारों समाजिक संगठन बनाने वालों का आपस में मतभेद होना समाजिक संगठनों का राजनीतिक पार्टी और नेताओं के इशारों में नाचना, जिससे समाज के लोगों पर हो रहे अन्याय अत्याचार के विरुद्ध संगठनात्मक रूप से आंदोलन न कर पाना और जब हम ऐसा आंदोलन नही कर पा रहे हैं तो न्याय कहाँ से मिलेगा..... जहाँ भी रहें जागृत रहें स्वविवेकी रहें ब्रेनवास होकर जीहज़ूरी करने वाले न बनें....
🌳🙏सतनाम

#असकरन_दास_जोगी

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