क्योंकि मैं मज़दूर हूँ

 #क्योंकि_मैं_मज़दूर_हूँ


मैं मज़दूर हूँ 

कोई मुझसे प्रेम क्यों करे 

भला तंगहाली में रहना 

किसे पसंद होगा ?


महलों में या झोपड़ों में 

रहने वाली लड़कियों के 

सुहाने सपनों में 

गलती से भी मैं नहीं आता 

अगर आता हूँ...

तो कोई बताये जरा ?


मैं भी प्रेम करता हूँ 

मेरे सीने में भी दिल है 

किन्तु कह नहीं पाता 

क्योंकि मैं मज़दूर हूँ


सबको पता है 

गुलशन और गुलशन की बहार 

श्वेत घोड़े पर सवार होने वाले 

राज कुमारों के लिए होते हैं 

मज़दूरों के लिए नहीं


छोड़ो ख़यालों की दुनिया 

हम सृजनहार हैं 

हमें तो प्रेम करने का अधिकार 

सिर्फ अपने श्रम और काम से है |


#असकरन_दास_जोगी

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