अपने विचारों के पथ पर

 #अपने_विचारों_के_पथ_पर


किताब पढ़ना आसान है 

लेकिन...

उसमें लिखी गई अच्छी बातों को 

आत्मसात करना 

कठिन होता है 


शब्द संयोजन 

अच्छे हो सकते हैं 

किन्तु...

उनमें परहित और मानवता होनी चाहिए


कवि,शायर,साहित्यकार,लेखक और कलमकार 

स्वयं को कहते फिरते हैं 

सार्थक तो तब हो 

जब आप दरबारी न हों


प्रेम,ख़ुशी,बंधुत्व,सद्भावना,समानता और निरपेक्षता पर 

चाहे जितना भी लिख लो 

अच्छी से अच्छी बातें 

क्या होगा इनका...?

जब आपमें छल,कपट,भेदभाव कूट-कूट कर भरा है


विचारक को 

अपने विचारों के पथ पर 

चलना चाहिए 

यह नहीं कि...

कथनी और करनी में अंतर हो... |


#असकरन_दास_जोगी

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