वे पुराने सपने हैं

 #वे_पुराने_सपने_हैं


रात का रोज

आना जाना लगा है 

बस आराम नही है 


भाग दौड़ बहुत है 

कोई कहे तो...

आ बैठ जरा 

चलने दो ज़िन्दगी को 


अपनी मिठास 

समय के साथ जा रही है 

अब सब कुछ 

कड़वा ही लगता है 


नींद क्या होती है 

कभी-कभी भूल जाता हूँ 

जो कुछ याद है 

वे पुराने सपने हैं 


सुबह का इंतजार है 

कब होगा पता नहीं 

उम्मीदों की किरणें 

रोज आँखों में दिखती हैं |


#असकरन_दास_जोगी

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