क्या करोगे ठहर कर ?

 #क्या_करोगे_ठहर_कर...?


पारदर्शी हो 

आपका व्यक्तित्व 

हर कोई निहार सके 

आपकी सादगी को 


प्रेम की शीतलता 

बांटते रहो 

यही तो सद्भावना लाएगी 


सींच दो 

अपने सुंदर विचारों के जल से 

जन-जन के मन को 

तब जाकर निर्मलता फैलेगी


दुनिया के इस छोर से 

उस छोर तक बहना 

जहाँ तक प्रेम की आवश्यकता है 


क्या करोगे ठहर कर ?

चलो बहते चलें 

पानी की तरह 

मन से निर्मल होकर |


#असकरन_दास_जोगी

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