मैं जानता हूँ
#मैं_जानता_हूँ
उनके हाथों से
फिसला हुआ रेत हूँ
पता है...?
मैं आगे बढ़ा हुआ समय हूँ
कह दो उन्हें
मेरा ख़्वाब न बुना करे
उन टूटे हुए धागों से जुड़कर
उड़ती हुई पतंग हूँ
आसमान मैने देखा है
और आसमान का रंग भी
मुझे क्या समझाओगे...?
मै जानता हूँ
गिरगिट का रंग बदलना क्या होता है
बदलना मुझे नही आता
लोग बदलते हैं
हम तो वही हैं
बस लोग आते जाते हैं
मैने आने वालों का स्वागत किया
जाने वालों को सकुशल विदा
वे सब जुदा हो गए
जो नज़र से उतर गए |
#असकरन_दास_जोगी
Comments
Post a Comment