हमारी आत्मा की तरंगें

 #हमारी_आत्मा_की_तरंगें


मेरा मन 

मेरी आत्मा 

प्रेम के गीत गाते हैं 

तबले की थाप 

और वीणा की तान में 


मेरे प्रत्येक शब्द में 

हमारे सम्बन्ध की 

सुगन्ध है 

जो महकते हैं

मिट्टी की तरह 


तुम्हें सुनते-सुनते 

तुम्हें सुनने की आदत सी हो गई है 

सुनो...

तुमसे मुहब्बत हो गई है 


है बहुत कुछ कहने को 

पर कह नही पाता 

तुम समझ लिया करो 

मैं समझ से परे तो नही हूँ ?


होगा ख़त्म एक दिन 

यह ख़ामोशी और यह दूरी  

तब...

हमारी आत्मा की तरंगें 

गूँजेंगी ब्रम्हाण्ड में |


#असकरन_दास_जोगी

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