तुम दीप्ति हो

 #तुम_दीप्ति_हो


तुम्हारी सादगी 

तुम्हारे लोक चित्रों की तरह 

सहज और भावुक हैं 

तुम्हारे प्रभाव से 

कोई प्रभावित न हो 

ऐसा हो ही नहीं सकता

क्योंकि तुम कहती हो...

जीवन का हर पल आपका ही है 

इसे कैसे जीना है

ये आप खुद ही तय करें


चटक चमकीली 

तितली हो 

जिसके ख़्वाहिशों के पंख में 

इंद्रधनुष के सातों रंग है 

पता है...?

तुम सारा आसमान अपनी बाहों में समेट लेना चाहती हो


उतनी ही अल्हड़ हो

जितना पवन 

सरसों और धान के खेत में 

बौराई सी चलती है

निश्चिंत होकर


बच्चों से भी बच्ची और प्यारी लगती हो 

जब तुम अपने 

ज़िद,मासूमियत और चाह में चहक रही होती हो 

किन्तु जब-जब गुस्सा नाक में लेती हो 

तब-तब आग उगलने वाले डायनासोर से भी ज्यादा

ख़तरनाक लगती हो


सम्बन्ध बचाने के लिए मीठा नहीं बोलती 

जो बोलती हो कड़वा ही बोलती हो 

कभी-कभी तुममें अधिनायकत्व दिखने लगता है 

सुनों...

तुम बहुत मतलबी हो 

परन्तु इतना भी नहीं 

कि किसी दूसरे का अहित कर दो


तुम्हें समझ पाना 

हर किसी के लिए आसान नहीं 

तुम हर मसले में बहुत सुलझी हुई हो 

लेकिन थोड़ी उलझी हुई हो 

मकड़ी की तरह 

अपने ही जाल में फंस जाती हो


जैसी दिखती हो वैसी हो नहीं 

तुम दीप्ति हो...

तुम्हारा प्रकाश फैलाना ही अच्छा लगता है 

चाहे वह कला,संस्कृति या अन्य विषय क्षेत्र में हो 

किन्तु उदासीन शांति से तुम्हारा भर जाना 

बड़ी चिंता,बड़े दु:ख और तुम्हारी समस्याओं के द्योतक होते हैं


तुम्हारे अपने तुम्हारे लिए 

एक घरौंदा बनाना चाहते हैं 

और तुम...

पूरी दुनिया को अपना घर मानती हो 

चाहती हो,जो आज़ादी एक पुरुष को इस समाज से मिला है 

वह मुझे और समस्त स्त्री को मिले 

ताकि हर स्त्री अपने खुली आँखों के सपनों में 

अपनी सफलता के रंग भर सके |


" 8 मार्च अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की आपको हार्दिक बधाई एवं अनन्य शुभकामनाएँ "


#असकरन_दास_जोगी

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