मेरी छोटी सी कविता

 #मेरी_छोटी_सी_कविता


रोज यही मैं काम करूँ 

गीत लिखूँ और गान करूँ 

मेरी छोटी सी कविता


जब भी लिखूँ ध्यान धरूँ

खुद को मैं कुछ मौन करूँ

मेरी छोटी सी कविता


अन्तर्मन से निकलती है 

शब्दों में वह ढलती है 

मेरी छोटी सी कविता


लोगों को वह समझाती है 

मुझको भी आईना दिखाती है 

मेरी छोटी सी कविता


अपने चरण और पद में 

सशक्त अपने मद में 

मेरी छोटी सी कविता


अल्हड़,भोली कितनी प्यारी है 

सबको भाती सबसे न्यारी है 

मेरी छोटी सी कविता


जब भी लिखूँ अधूरी सी लगती 

गागर में सागर भरी हुई लगती 

मेरी छोटी सी कविता |


#असकरन_दास_जोगी

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