तुम पंख वाली परी हो

 #तुम_पंख_वाली_परी_हो


साहूकार की चक्रवृद्धि ब्याज की तरह 

बढ़ती जा रही तुमसे दूरी 

तुम्हीं बताओ...

भला मैं इसे कम कैसे कर पाऊँगा ? 


मैने तो पहले ही कहा था 

फर्क तुम्हें नहीं दिखता 

लेकिन मुझे तो दिखता है 

तुम तरुवर हो 

और मैं तिनका


आप से तुम होना आसान है 

किन्तु हम होने के लिए 

मुझे भट्ठी में पकते ईंट की तरह 

जलना होगा


क्या यह भेद मिट पाएगा ?

जो हमें हम बना दे

ऐसा वक्त शायद ही आये 


मुझे रहने दो 

धरती पर ही 

तुम पंख वाली परी हो 

मेरे लिए धरती है...

आसमान नहीं बना |


#असकरन_दास_जोगी

Comments

Popular posts from this blog

दिव्य दर्शन : गिरौदपुरी धाम(छत्तीसगढ़)

पंथी विश्व का सबसे तेज नृत्य( एक विराट दर्शन )

खंजर