उसको पता हो

 #उसे_पता_हो 


उस मिट्टी की तरह कोमल है 

उसका हृदय 

जिसे फेंटा गया है 

घर और आंगन की छबाई के लिए


उसके महक के आगे 

सारे इत्र बौने हैं 

वह मिट्टी के जैसी ही है 

और सौंधी-सौंधी महकती है

उसे पता हो...

उसकी खुशबू मेरी आत्मा में बस गई है 


वह बड़ी मनोरम लगती है 

धान के उस बाली की तरह 

जो अाधी हरी है और आधी स्वर्णिम

एक किसान के लिए 

जैसे उम्मीदों से भरी 


उसकी बातें और विचार 

मन को हिलोरती है 

ये उतनी ही निर्मल है 

जितनी खेत के मेढ़ से निकलने वाला पानी


पता है....

उसका स्वभाव 

बिल्कुल करंच के दातुन जैसा ही है 

लगने के लिए तीखा 

लेकिन सेहत के लिए लाभदायक |


#असकरन_दास_जोगी

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