रानी बइठे काज मा

 #रानी_बइठे_काज_मा


कुहकू माहुर लाल रे,लच्छा ऐंठी सोह |

रुपिया सूता तान के,मारत मन बड़ टोह ||0||


मारत मन बड़ टोहली,चंदा चमकत आज |

रानी बइठे काज मा,करे सोलहो साज ||1||


करे सोलहो साज जी,दौना खोंचे कान |

सुघ्घर सोभत गोदना,छेंड़त अंतस तान ||2||


छेंड़त अंतस तान हे,सबके मन ला भाय |

संस्कृति सँघरे संग मा,छत्तीसगढ़ी ताय ||3||


छत्तीसगढ़ी ताय जी,हमर धरोहर पोठ |

भाखा जन जन के बने,बढ़िया होगे गोठ ||4||


बढ़िया होगे गोठ हर,देखत बने सुहात |

उज्जर परछी बीच मा,जांता बेंठ घुमात ||5||


जांता बेंठ घुमात जे,पीसत चाँउर डार |

मुस्की मारत खूब हे,खोल मुठा के धार ||6||


खोल मुठा के धार ला,पीसत हवय पिसान |

लागे जी गजमोतियन,करलव बने धियान ||7||


करलव बने धियान तुम,बनही रोटी रोट |

आँटा बाँटा बाँट के,खाहीं बड़का छोट ||8||

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घुरुर घुरुर घूमत हवै,जांता बोलत जाग |

बइठे अब झन राह तँय,काम बुता मा भाग ||


#असकरन_दास_जोगी

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