चारा सिरागे त मर बोकरा
#चारा_सिरागे_त_मर_बोकरा
" कोनो नठाही झन
कोनो दुरिहाही झन
जीयत ले कर ले मया संगी
बाद म कोनो पछताही झन "
समय बड़ कुलकत रहिच
ठिनठिन धुन पकपक कहिके
अरे हाँथ म तो घन धरे रहिच
मोर मुन्डा मुड़ी हर
एके दांव के परे ल
राई छाई होगे
मुसवा बरोबर कोर्रत हे
करेजा ल
वोकर मया हर
जम्मो सुरता के कोरा ल देख
अउ करियागे हँव
चिहुर पार के रोवँव
के पढ़-पढ़ के
अरे मुक्का होगे हँव
जब ले मयारू
माटी म मिलगे
वोकर बिना अंतस रोवत हे
काकर मेरा
अपन दु:ख सुनावँव
मोर हाल तो बस अइसने हे
कहिथैं न...
चारा के रहत ल चर बोकरा
चारा सिरागे त मर बोकरा |
#असकरन_दास_जोगी
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