कह तो चुका हूँ

 #कह_तो_चुका_हूँ 


गिड़गिड़ाने जैसा लगता है अब 

उसे फोन लगाकर कहने में 

यही कि...

कभी कभार याद तो कर लिया करो


कह तो चुका हूँ 

कई बार 

तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगता 

किन्तु समझ ही नहीं आता 

मेरा ऐसा कहते ही 

क्यों वह मुझसे बात ही नहीं करती ?


अकेले था 

तब इतना सोचना नहीं पड़ता था 

सूनापन ही साथी था 

सुनो...

आज का सूनापन काटने को दौंड़ता है


दूरी कोई भी सह सकता है 

लेकिन ख़ामोशी 

सबसे ख़तरनाक होती है 

पता है...

हँसते हुए इंसान को रूला सकती है


बड़ी कसकती है 

उसकी याद 

आँख में पड़े फूले की तरह 

सच कहूँ...

दिल और आँख दोनों जगह से निकालना मुश्किल है |


#असकरन_दास_जोगी

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