जब जड़ता ख़त्म होती है

 #जब_जड़ता_ख़त्म_होती_है


मैने धरती को धरती 

और आसमान को आसमान 

कहना सीखा है 

तुम्हारे संगत में 


कुछ रंगों से चिढ़ होने लगा था 

क्योंकि आजकल 

विचारधारा का परिचय रंग देने लगे हैं 

किन्तु अब हर रंग में रंगने लगा हूँ 

तुम्हारे रंगत में


रंगत और संगत के कारण 

तुमसे ज़रा सी बात करके 

मैं अनंत आनंद में डूब जाता हूँ 

तुमसे मिली आत्मीयता कहती है 

हम मन और आत्मा से जुड़े हैं


आत्मा से जुड़ना 

अर्थात् नि:स्वार्थ होना 

और जुड़ना... 

जुड़ना हमारे अन्दर की जड़ता को ख़त्म करती है 

जब जड़ता ख़त्म होती है 

तब हम एक अच्छा इंसान बन पाते हैं |


#असकरन_दास_जोगी

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