दिवलिया होगे हँव

 #दिवलिया_होगे_हँव


भोको के चक्कर म 

भोगे ल होगे 

वो तो हेरउठिन घलो हे 

अरे पूछबे नइ करय हिरक्के 

इही के तैं कइसे हवच ?


हरागे हिरदे 

कहाँ मेर पाहँव चैन ?

चारो मुड़ा अंधियारी हे 

अरे अंतरगे अंतस के आस


लुटागे लैन के लैना 

अब तो भटके ल परही 

भूलन खुंदे बरोबर


करदे मुनादी कोटवार 

पटवारी ल पता हे 

गाँव वाले मन का जानहीं 

दिवलिया होगे हँव दिल लगाके |


#असकरन_दास_जोगी

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