लोग भी हमें पढ़ें
#लोग_भी_हमें_पढ़ें
मेरे सिराहने में
किताबें बिखरी रहती है
उन्हें अचानक ही पढ़ पाता हूँ
ठीक उसी तरह
जैसे कभी-कभी ही तो तुमसे
मिल पाता हूँ
किताबें खोलने पर
पन्ने पलटने पड़ते हैं
और दोबारा अपनी भावनाओं से जुड़ पाता हूँ
जैसे तुमसे मिलते ही
तुमसे पहली बार मिलना,तुम्हारी बातें और तुमसे जुड़े प्यारे-प्यारे खुशनुमा पल ताज़ा हो उठते हैं
वे किताब और तुम
मेरे लिए प्रिय हो
मेरा सौभाग्य है कि
मैं तुम दोनों से
ज़िन्दगी के लिए
बहुत कुछ सीख पाता हूँ
मेरी इच्छा है कि
हम भी एक दिन
किताब बन जायें
हमारा एक दूसरे को पढ़ना काफी नहीं है
लोग भी हमें पढ़ें |
#असकरन_दास_जोगी
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