अपनी करनी पार उतरनी

 कुछ कहावतों के साथ प्रयोग 


#अपनी_करनी_पार_उतरनी


तुम बाज की बच्ची हो 

मुंडेर पर कहाँ उड़ सकती हो 

गौरैया जानती हो...?

मैं वही हूँ...

मेरा घरौंदा घर में बनता है


अभी दिल्ली दूर है 

तुमसे नफ़रत की राह में 

मैं खुद ही पत्थर रखूँगा 

अपने सीने पर 

तब तुम्हें सिर्फ वही लोग याद करेंगे 

जो मतलबी हैं 


एक तुम्हारे चले जाने से 

कोई पहाड़ टूट नहीं जाएगा मुझ पर 

और मेरी ज़िन्दगी में 

कोई तूफान नहीं आ जाएगा 

मैं शांत हूँ समन्दर की तरह 

इसका मतलब यह नहीं 

कि मुझमें ज्वार भाटा नहीं है


सच कहूँ...

तुमसे मिलकर ही जान पाया 

यही कि 

किस तरह 

दूर के ढोल सुहाने होते हैं


खैर... 

तुम चिकने घड़े की तरह हो 

जिसमें पानी नहीं ठहरता 

मुझे भी याद होना चाहिए 

यही कि...

अपनी करनी पार उतरनी |


#असकरन_दास_जोगी

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