दो पाटन के बीच

 #दो_पाटन_के_बीच


लथपथ है हमारी सुबह 

लथपथ है हमारी शाम

खून के कतरे कतरे में 

भय में जीवन क्या होता है 

कोई पूछे हमसे 

सत्ता चैन से सोती

और बस्तर है बेहाल


हमें स्कूल,उचित स्वास्थ्य व्यवस्था,रोजगार,सड़क,पानी,बिजली सब चाहिए 

पर मिलता नहीं है 

यहां लगने वाली कम्पनियां और सरकार 

सिर्फ आश्वासन देते हैं


जल,जंगल,जमीन

आदिवासियों का अधिकार है 

पहले हमें काट लो 

फिर जंगल काटना 

हमारे सीने से दिल निकाल लो 

फिर पहाड़ों से खनिज निकालना

और उसे लगाना...

अपने शहरों और उद्योगपतियों के विकास में


पुलिस की मुखबिरी के नाम पर 

हमें नक्सली मारते हैं 

और नक्सलियों के सहयोग के नाम पर 

पुलिस मारते हैं 

हम पीसे जा रहे हैं 

गेहूँ में घून की तरह 

दो पाटन के बीच


राजभवन चुप है 

मुख्यमंत्री निवास चुप है 

विधानसभा चुप है 

मिडिया चुप है 

किन्तु हम कैसे चुप रह सकते हैं 

अपने नरसंहार पर |


#असकरन_दास_जोगी

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