सुनती कहाँ है दिल की

 #सुनती_कहाँ_है_दिल_की


जब वह पूछती है 

कैसे हो ?

कैसे कहूँ यही कि 

तुम बिन कितना बिखरा हुआ हूँ 

किन्तु बस यही कहता हूँ 

मैं मस्त हूँ...तुम कैसी हो ?


मेरा जताना या बताना 

उसे अच्छा न लगे 

ख़याल रखता हूँ 

हर बार चहकना या मुस्कुराना है 

मुझे उसके सामने


कहती है 

हर बात कह सकते हो 

पर सुनती कहाँ है 

दिल की


वह भावनाओं में नहीं बहती 

यही तो कहा था उसने मुझसे 

तभी तो अपनी भावनाओं को 

उससे व्यक्त करने में झिझकता हूँ 

क्या पता कद्र होगी या नहीं ?


अब झूठ कहने की 

लत लगने लगी है 

अच्छा हूँ ,ठीक हूँ ,बढ़िया हूँ 

और मस्त हूँ 

क्या ख़ाक

अच्छा हूँ,ठीक हूँ,बढ़िया हूँ और मस्त हूँ |


#असकरन_दास_जोगी

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