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Showing posts from May, 2018

अंतस के गोठ

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*अंतस के गोठ * देखत साठ  चेत लमरगे  वो बेरा, वो घड़ी म  तोला सुरता हे का ?  जब आवन जावन संग म... धीर गम्भीर  गुरतुर-गुरतुर  तोर गोठ-बात आज ल हे  मोला सुरता  तोर मुस्काई म मुस्कावँवँ देखवँ तोला कनेखी  तोला पता हे का?  कब समा गये अंतस म... सबके समझ  जाथच हाल  फेर काबर नइ समझच  मोर अंतस के गोठ  ककरो सो कभू पुछे हच का ?  ए पगला के हाल-चाल... मन म  हलाकानी  दे के गए रहे  कतका दिन  बितगे  मिलन के आस  धराये रहे  तैं जानथच का ?  मोर दरद के तहीं दवा... कइसे कहवँ  कहाय नही  बिना कहे रहाय नही  जान के  झन बन अंजान सुन तो रे संगी हिरदे म  पखरा रख लेथच का ?  जेन मया ओगरय नही... *रचनाकार:असकरन दास जोगी* मो. 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

मैं युवा हूँ

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*मैं युवा हूँ !* एक क्षण में धधक जाता हूँ एक पल में शांत हो जाता हूँ कैसी ये कामना एक क्षण में मैं बहक जाता हूँ है बेफिक्री लक्ष्य पे संकल्पित नही जो-जो राह दिखे मैं पथ वही धरता ह...

स्वराज कब आही

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*स्वराज कब आही* जागव जानव घर के हाल संगी ! काबर राखे हव रे मन मतंगी !! पुरखा हमर सपना के नेह खने ! अठरा बच्छर होगे ग राज बने !! छँटगे कुहरा रौनिया कब छाही ! छत्तीसगढ़िया स्वराज कब आही !!1!! देहन बली आजादी के जुध्द म ! मरथन सबो जात-पात के क्रुध्द म !! कांग्रेस अउ भाजपा राज करथैं ! हमला बाँटत मन मा बीख भरथैं !! हँड़पे सत्ता नंगा कोन लाही ! छत्तीसगढ़िया स्वराज कब आही !!2!! लूटावत हवै धान खाँड़ी-खाँड़ी ! मिलत नइहे हमला आड़ी-काड़ी !! परदेशिया चले गोंदा बिछौना ! लालच के राखे जब्बड़ छतौना !! करिया अंग्रेज ला कोन भगाही ! छत्तीसगढ़िया स्वराज कब आही !!3!! होगे छलनी छत्तीसगढ़ छाती ! रोवत बबा बेरोजगार नाती !! आउटसोर्सिंग के केत बड़ करिया ! लूटत हें मिलके खेत अउ परिया !! पीभ चूहत घाँव दवा कब पाही ! छ्त्तीसगढ़िया स्वराज कब आही !!4!! भाखा संस्कृति मरत परान नइहे ! महापुरुष मनके रे मान नइहे !! गरीब के सुनवाई खोजवँ इहाँ ! परदेशिया मन धरे सत्ता जिहाँ !! सत्य धरम के राज कोन लखाही ! छत्तीसगढ़िया स्वराज कब आही !!5!! गरम लहू आय तुँहर धून पानी ! परदेशिया डहैं सहव मनमानी !! सिह...

तिरंगा फहराबो

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*तिरंगा फहराबो*     (बाल-गीत) चलव-चलव तिरंगा फहराबो ! स्वतंत्रता दिवस फेर मनाबो !! आजादी के नारा छाही ! जम्मो सहीद सुरता आही !! चुन्नू-मुन्नू जय हिंद कइही ! हमर तिरंगा अंतस म रइही !! बा...

दादा जी! की मैं छड़ी

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*दादा जी! की मैं छड़ी* दादा जी! की मैं छड़ी ! दूर नही पास खड़ी !! पग-पग चलती साथ ! हाथों में लेकर हाथ !! छोटा मुँह बात बड़ी ! दादा जी! की मैं छड़ी !!... स्नेह पाती मैं खूब ! सेवा में मैं जाती डूब !! म...

छत्तीसगढ़ के बात

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*छत्तीसगढ़ के बात* छत्तीसगढ़ माटी धान कटोरा ! नवा बिहान के करव अगोरा !! महानदी के निर्मल पानी ! रायपुर हवै हमर राजधानी  !! गुरु घासी के बाना उचाबो ! सत्य अहिंसा के गीत गाबो !! बीर नरा...

मेरे अंदर भी है शैतान

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*मेरे अंदर भी है शैतान* जो दिखता हूँ वह नही हूँ जो हूँ वह दिखता नही एक सिक्के के दो पहलू कौन कहेगा मुझे भगवान पर मेरे अंदर भी है शैतान...1 किसी के लिए अच्छा कर जाता हूँ तो किसी के लिए बुरा अपनी बातों को मनवाने जिद पे अँड़ जाता हूँ मत हो हैरान मेरे अंदर भी है शैतान...2 नटखट हूँ बचपन से छोटा-बड़ा सबसे कर लेता हूँ मजाक तब आभास नही था बड़े कहते थे चूप शैतान आज ज्ञात हुआ मेरे अंदर भी है शैतान...3 क्रोध पे मेरा भी नियंत्रण नही रहता कभी नासमझी में अकस्मात् भड़क जाता हूँ मुझे पहचानो न रहो मुझसे अंजान मेरे अंदर भी है शैतान...4 लोभ,काम इनसे भी हूँ मैं प्रभावित अलौकिक नही मैं भी तो हूँ लौकिक कोई विशेष नही साधारण सा हूँ इंसान पर मेरे अंदर भी है शैतान...5 *असकरन दास जोगी* मो. 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

बिलासपुर रायपुर मार्ग

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*बिलासपुर रायपुर मार्ग* आज निकला हूँ भ्रमण करने बिल्हा से बिलासपुर सौभाग्य से दर्शन हो गए बिलासपुर रायपुर मार्ग...1 भव्यता प्रत्यक्ष है श्रृंगार के सारे यत्न किए जा रहे है...

श्रीफल और शॉल सम्मान

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दिनाँक 06/05/2018 को हमारे बिल्हा में आदरणीय पूर्व प्रचार्य आर.एन.कोशले जी के अध्यक्षता में समाज के राजमहंत, शिक्षक, कर्मचारी ,समाजिक कार्यकर्ता एवं बुध्दिजीवियों का सम्मान समार...

छंद के छ दूसरइया स्थापना दिवस

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छत्तीसगढ़ के महान छंदविद् आदरणीय अरूण कुमार निगम गुरुदेव जी ह छत्तीसगढ़ म छंद ल बढ़ाय बर 9 मई के दिन #छंद के छ परिवार के स्थापना करे रहिन जेकर दुसरइया स्थापना दिवस के आयोजन क...

प्रणय निवेदन 2

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*प्रणय निवेदन 2* अलबेली नैना बावरी अपलक तुम्हें निहारता *ओ चितचोर* वर दे दो नेह का....! जिस क्षण से दृष्टि में आए मेरी सृष्टि सौंदर्य से चमक उठा *देखो मनमीत* मन जो हरण है करलो तुम वर...

सासाबेगी

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*सासाबेगी* का सोंचबे अउ का हो जाथे फेर गोठ फटाक ले निकल जाथे मुह के तो धरखंद नइहे....! कतको हरक ले कतको बरज ले मानही तब न मन ह कभू कोनो ल धीरतावन दे हे ? ए तो लुकलुकहा हे एकर सांकड़ा ...

कुंतल

*कुंतल* जब भी सम्मुख आए आपके व्यक्तित्व की महक पाया हमने आपको देखकर हमें प्रसन्नता होती है...! इतनी सुंदर छवि चन्द्र आभा लिए भद्र भाव का दर्शन पाया हमने इस आकर्षण पर मोह नही सम्मान जागा ह्रदय में....!! आप रचना रचती हैं मन से निकली भावों की आपकी कविता में नवीनता मिला हमें आपकी सफलता पर गर्व है हमें.....!!! कीचड़ में कमल खिलता है यह वाक्य सबको ज्ञात है, अभावों में प्रतिभा जन्म लेती है यह सबके दृष्टि में है, परंतु आप में इन दोनो के प्रतिमान प्रस्थापित है ..!!!! यूँ तो कई बार मिले आदर और सम्मान तब भी और अब भी था है रहेगा आपको महसूस होता ही होगा....!!!!! बस आज दर्शन हुआ जो पहले दृष्टि से ओझल था सच कहूँ ... वे आपके *कुंतल* हैं जो श्यामल मेघा से प्रतीत हो रहे हैं.......!!!!!! रचनाकार:असकरन दास जोगी मो.नं. 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

मेरी प्रेयसी

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*मेरी प्रेयसी* निहार ही रहा था पथ नयनों से,मन में था आवेश ! मृगनयनी चन्द्र आभा लिए,प्रेम की लाई परिवेश !! अधर काँपने लगे, ठिठकने लगे शब्द मेरे ! पलकें कैसे झपके भला,सम्मुख जो प्रेय...

प्रणय निवेदन 1

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*प्रणय निवेदन 1* तनिक सुनो ठहरो तो देखो मेरी ओर जिज्ञासा है मुझे करूँ मैं तुमसे संवाद ओ मोहिनी.... व्यक्त करना चाहता हूँ मन की बात....! प्रतिक्षण मन में उथलपुथल है रक्त वाहनियों में ये कैसी चपलता ओ रूपवति... ह्रदय की धड़कन मेरे नियंत्रण से बाहर है...!! धैर्य धरा की मुझमें नहीं आतुर हूँ ह्रदय की बात व्यक्त करने के लिए सहजता से तुम मुझे अनुमति तो दो....!!! है नैनों की यही अभिलाषा निहारता रहूँ युगों-युगों तक कंचन कंवल कामिनी सा यह रूप रहो साथ मेरे जैसे छाँव और धूप...!!!! ज्ञात हो वह मिलन का दिन नैंनों की नैंनों से कभी आगे कभी पीछे फिरते हैं आज-तलक ओ गुणवति.. पथ भी तो निहारते हैं....!!!!! सम्बंध हो दो आत्माओं का जन्म से जन्मान्तर का है मेरा यह प्रणय निवेदन सुनकर करो ह्रदय से अनुमोदन साक्षी है... इस प्रकृति का कण-कण...!!!!!! ओ नेहवति विचलित न हो शीलवति सदाचारिणी प्रज्ञा की तुम खान प्रणय निवेदन स्विकार करो मुझको अपना मान...!!!!!!! *रचनाकार:असकरन दास जोगी* मो.नं. 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com